प्रासंगिक-वसंत-वैभव (हिंदी)

वसंत-वैभव (हिंदी) बारिश के मौसम की एक शाम। बरसती झडी से बचने हेतू पांच-छ: आयु का एक बालक किसी इमारत की आड खडे होकर अपनी ही धुंद में कुछ गा रहा था। अचानक कंधे पर किसी बुजुर्ग के हाथ रखने से बालक अपनी धुंद से बहार आया। सतह तौर पर देखें, तो एक अतिसामान्य घटना।लेकिन वो शाम विशेष थी और वो घटना भी। उस शाम की इस घटना के गर्भ में था विश्व स्तरीय तेजोमयी गंधर्व। जी हां वो हाथ था ग्वालियर घराने के गायक,नागपुर के श्रीराम संगीत विद्यालय के पारखी गुरू श्री शंकरराव सप्रेजी का और जिस कंधे पर वो रखा गया था वो था अलौकिक प्रतिभा के धनी, संगीत क्षेत्र को ललामभूत, डॉक्टर वसंतराव देशपांडेजी का। उस शाम नन्हे वसंत के सुरीले स्वरों को सुनकर शंकरराव सप्रेजी, जो की संगीत शिक्षक थे, बेहद प्रभावित हुए।वो उसे उपर ले गए।नाम पता पुछा।फ़िर क्या क्या गाते हो? गाना किस से सिखां? आदी जानकारी ली।भजन, लोकसंगीत, अन्य घरेलू गीतों की अनौपचारिक शिक्षा मधुर सुरों की धनी अपनी माताजी से मिली यह बात वसंत ने बताई और मराठी संगीत नाटक 'मृच्छकटिक' के 'जन सारे मजला म्हणतील की' यह और अन्य कुछ गीत बडी सहजता से सुन...