प्रासंगिक-कोरोना, लॉकडाउन और रेल

कोरोना, लॉकडाउन और रेल
कोरोना वायरस चीन में उत्पन्न हुआ और धीरे-धीरे दुनिया के लगभग सभी देशों में फैल गया। हर देश अपनी क्षमता के अनुसार इस वायरस से लड़ रहा है। चूंकि इस वायरस के कारण होने वाली कोविड -19 बीमारी के लिए कोई दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, शारीरिक दूरी, शारीरिक स्वच्छता, यानी साबुन के पानी से बार-बार हाथ धोना, सैनिटाइजर का उपयोग और लॉकडाउनके उपाय आवश्यक ही नही अनिवार्य हैं। हम देख रहे है की दुनिया भर में आम गतीविधीयां थम सी गयी हैं।
दुनिया की परिप्रेक्ष में देश की स्थिती का आकलन करें,  तो भारत सरकार, राज्य सरकारों और प्रशासन और इसके कार्यान्वयन के समयबद्ध निर्णयों के कारण यहाँ की स्थिति अभी भी नियंत्रण से बाहर नहीं है। कोविड-19 के संबंध में  भारत के समग्र उपायों की न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी सराहना हो रही है । अब आवश्यकता है देश के नागरिकों के और सक्रिय सहयोग की । डॉक्टर, चिकित्सक, पैरामेडिक्स, सफाई कर्मी, कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी और दृश्यमान सैनिक हैं, लेकिन आवश्यक वस्तुओं के उत्पादक, सेवा प्रदाताओं और सरकारी क्षेत्र कोविड-19 के खिलाफ इस जंग मे परदे के पिछे से अहम भूमिका अदा कर रहे है। कोरोना को मात देने के प्रयासों में भारतीय रेल विशेष योगदान दे रही है।
खाद्यान्न का परिवहन
 सेना अपने पेट के बल चलती है यह सत्य हम पुरातन काल से जानते है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई को, प्रत्येक देशवासी के घर में बिना चुल्हा जले जितना असंभव सा था। इस लिए, देश के हर कोने में खाद्य आपूर्ति को बरकरार रखने के लिए रेल प्रयास कर रही है। 22 अप्रैल, 2020 को, रेलवे ने 112 रैक के माध्यम से रिकॉर्ड लगभग 3 लाख टन खाद्यान्न देशभर मे पहुँचाया। इससे पहले, 9 अप्रैल तथा, 14 और 18 अप्रैल को, लगभग 2.5 लाख टन खाद्यान्न पहुँचाया गया था।अप्रैल 2020 माह के पहले 22 दिनों में, भारतीय रेल ने इस वर्ष आपातकालीन स्थिती रहते हुए भी 4.58 मिलियन टन खाद्यान्न की ढुलाई का लक्ष्य हासिल किया जबकि पिछले वर्ष, इसी काल खंड में 1.82 मिलियन टन खाद्यान्न की ढुलाई हुई थी।
3 मई, 2020 तक विस्तारित लॉकडाऊन अवधि के दौरान देश के अतिदुर्गम क्षेत्रों में भी खाद्य और दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में रेलवे भरकम प्रयास कर रही है।
रेलवे ने जिला प्रशासन को विभिन्न रेलवे रसोई यों से प्रतिदिन 2.6 लाख पके हुए भोजन की आपूर्ति कराने की तैयारी दर्शाई हैं। देश भर के जिला कलेक्टरों को इसके बारे में सूचित किया गया है। यह भोजन 15 रुपये की मामूली कीमत पर उपलब्ध होगा। इस भुगतान की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार अगले चरण में करेगी।
पीपीई /कव्हरऑल उत्पादन
भारतीय रेलवे निर्माण केंद्रों, विभागीय कार्यशालाओं और क्षेत्र के विभागों ने चिकित्सक और पैरामेडिक्स स्टाफ, जिन्हे कोविड -19 रोगियों का इलाज करते समय संक्रमण का खतरा है, उनके लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई)/कव्हरऑल का निर्माण शुरू कर दिया है अप्रैल 2020 तक 30,000 से अधिक पीपीई किट और मई तक एक लाख पीपीई किट बनाने की रेलवे की योजना है।
अन्य उपक्रम
रेलवे के साथ-साथ निर्यात को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की उम्मीद के साथ
24 मार्च से 30 अप्रैल, 2020 तक खाली कंटेनरों और खाली वैगनों के परिवहन के लिए कोई विलंब शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
खाद्यान्न, कृषि वस्तुओं आदि जैसी आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए रेलवे माल डिब्बों की न्यूनतम संख्या 57 से 42 कर दी गई है।
उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए रेक, टू पॉइंट रेक आदि दूरी संबंधी शर्तों में छूट दी गई है।
इसके अलावा, भारतीय रेलवे द्वारा कोरोना की पृष्ठभूमि पर अन्य निर्णय लिए गए हैं, जिनमें माल ढुलाई में रियायतें भी शामिल हैं।

संदर्भ:पी आय बी
गुगल

नितिन सप्रे
nitinnsapre@gmail.com

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