प्रासंगिक - कोरोना काल के चुनाव

 कोरोना काल के चुनाव


लोकतांत्रिक राज्य प्रणाली में चुनावों का एक विशेष असाधारण महत्व है। चुनाव एक तरह से लोकतंत्र का उत्सव है। लोकतंत्र का एक बड़ा त्योहार। अगले कुछ ही दिनों में, दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र, विभिन्न स्तरों पर जनमत को आजमाने जा रहे हैं। पहला चुनाव बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए है, जबकि दूसरा प्रमुख चुनाव  अमेरिकन राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए है। कोरोना संकट का कहर विश्व भर में फैलने के बाद, उस आपदा की छाया में ये दो महत्वपूर्ण चुनाव हो रहे हैं। स्वाभाविक रूप से, चुनावी प्रबंधन को सामान्य परिस्थिति की तुलना में इस संबंध में अधिक व्यवस्था करनी होगी।


बिहार विधानसभा चुनाव



कोरोना संकट की छाया में भारत में होने वाला यह पहला बड़ा चुनाव है।बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए तीन चरणों में चुनाव की ये जा रहे हैं। 


पहले चरण में 28 अक्ट्टूबर, 2020 को 71 विधानसभा क्षेत्र में मतदान होगा।  

दूसरा चरण 3 नवंबर को 94 सीटों के लिए और तीसरा चरण 7 नवंबर को शेष 78 सीटों के लिए आयोजित किया जाएगा। मतों की गिनती 10 नवंबर, 2020 को होगी और परिणाम उसी दिन घोषित किए जाएंगे। वर्तमान बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है।



पिछले चुनावों में, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रणित रालोआ गठबंधन को पराजित किया था। अपितु, 2017 में, मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने महागठबंधन का साथ छोड़कर रालोआ में प्रवेश किया। इस नई संरचना में, नीतिश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में बने रहे और भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार मोदी ने उप मुख्यमंत्री के रूप में लालू के पुत्र तेजस्वी यादव का स्थान लिया।

इस साल के चुनाव मुख्य रूप से भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन,जिसमें जनता दल (यूनाइटेड), विकासशील इन्सान पार्टी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा शामिल हैं, और राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और वाम दलों के महागठबंधन के बीच मुख्य रूप से लढा जाएगा। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने केंद्र में रालोआ के साथ आपने संबंध बनाए रखे है, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से अपने दम पर लड़ रही है। अन्य कुछ और छोटे दल, गठबंधन तथा निर्दलीय भी मैदान में हैं।

इस वर्ष के चुनावों में, हाल ही में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानून, बेरोज़गारी,

कोविद - 19 महामारी, प्रवासी श्रमिक मुद्दे, बाढ़ आदी विषय प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में उठाये जा रहे हैं। 8 अक्टूबर को लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान की मृत्यु का भी चुनाव पर कुछ असर हो सकता हैं।



अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष चुनाव




दुनिया के सबसे शक्तिशाली पद के लिये नेता का चुनाव करने हेतू हो रही इस चुनावी जंग की और सभी की निगाहें लगी हैं। रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बायडन के बीच अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष पद के लिये 3 नवंबर, 2020 को चुनाव निर्धारित है।वैसे तो कोई भी अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष पद का चुनाव लढ सकता हैं, लेकिन मुख्य रूप से रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों के बीच ही प्रतिस्पर्धा होती है।

जो उम्मीदवार इस चुनाव को लड़ना चाहते हैं, उन्हें तीन शर्तों को पूरा करना आवश्यक है। पहली शर्त यह है कि व्यक्ति को जन्म से अमेरिकी होना अनिवार्य हैं।दूसरी शर्त यह है कि व्यक्ति की आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। और अंतिम शर्त  है कि वह व्यक्ति पिछले 14 वर्षों से अमेरिका में निवासी हो।

रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी दो तरह से राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए अपने उम्मीदवार चुनते हैं, कॉकस और प्राइमरी। पार्टी का कोई भी सदस्य इस चुनाव में खड़ा हो सकता है। विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कॉकस में एक पक्ष के समर्थक इकाठ्ठा होकर विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं और उन्हें सुनने के बाद हाथ उठाकर उम्मीदवारों को अपना समर्थन दर्शाते हैं।उम्मीदवारों को प्राथमिक और कॉकस में मिले वोट के आधार पर, दोनों पार्टियाँ अपने सम्मेलन में विजेता को उम्मीदवार घोषित करती हैं, जो पार्टी का राष्ट्राध्यक्ष पद का उम्मीदवार बन जाता है और वही उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनता है। दोनों दलों के राष्ट्राध्यक्ष पद के उम्मीदवार देश भर में प्रचार करते हैं और विभिन्न विषयों पर लाइव बहस सत्रों के कई दौर आयोजित किये जाते हैं।


इस वर्ष के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प और जो बायडेन के बीच कुल तीन संवाद सत्र होने की उम्मीद थी, लेकिन कोविद -19 के कारण 15 अक्टूबर को सत्र वर्चुअल आयोजित करने के निर्णय पर ट्रम्प की आपत्ति के कारण उसे रद्द करना पड़ा। दूसरा और अंतिम सत्र 23 अक्टूबर को नैशविले में आयोजित किया गया था। इसमें कोरोना महामारी, जलवायु परिवर्तन, चीन और भ्रष्टाचार पर चर्चा की गई।इस सत्र में, एक नया म्यूट बटन प्रदान किया गया था ताकि प्रारंभिक प्रस्तुति के दौरान दोनों उम्मीदवार एक-दूसरे के साथ हस्तक्षेप न करें।

क्लीवलैंड में 29 सितंबर को पहले 90 मिनट के सत्र में, दोनो उम्मीदवारों ने कोरोना महामारी, नस्लवाद, जलवायु परिवर्तन और अर्थव्यवस्था जैसे प्रमुख मुद्दों पर गर्मजोशी से चर्चा की।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान नवंबर माह के पहले मंगलवार को होता है। इस बार 3 नवंबर को पहला मंगलवार है, इसलिए इस दिन मतदान होगा।

इस पोल में, लोग सीधे राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते बल्कि मतदाताओं के माध्यम से राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। इस प्रणाली को 'इलेक्टोरल कॉलेज' कहा जाता है।

प्रत्येक राज्य में जनसंख्या और अन्य कारणों के अनुसार मतदाताओं की एक निश्चित सीमा होती है देश भर से कुल 538 मतदाता चुने जाते हैं।

अमेरिकी चुनावी प्रणाली में, राज्य में सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले राष्ट्राध्यक्ष पद के उम्मीदवार के सभी समर्थक विजयी माने जाते हैं।

उदाहरण के लिए, कैलिफ़ोर्निया से 55 मतदाता चुने जाते हैं, और राष्ट्राध्यक्ष पद के जिस उम्मीदवार को यहां सर्वाधिक मत प्राप्त होते हैं उसके खाते में यह सभी 55 मत जोडे जाते हैं।

हालांकि, मेने और नेब्रास्का के दो राज्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा मतदाताओं का चयन करते हैं।सभी राज्यों के आंकड़ों को इकट्ठा करने के बाद, 538 मतदाताओं में से आधे से अधिक यानी 270 मतदाताओं को जीतने में सफल होने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित कियाजाता है। रात तक परिणाम स्पष्ट होते हैं, लेकिन वास्तव में मतदाता 14 दिसंबर को राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए मत दान करते हैं और विजयी उम्मीदवार को अगले साल 20 जनवरी को शपथ दिलाई जाती हैं।


नितिन सप्रे

nitinnsapre@gmail.com

8851540881



टिप्पण्या

या ब्लॉगवरील लोकप्रिय पोस्ट

प्रासंगिक- वसंतवैभव-कैवल्य गान

स्मृतीबनातून - देखण्या ‘बाकी’ काव्यपंक्ती

स्मृतीबनातून निरंजनी स्वर-माणिक