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फेब्रुवारी, २०२१ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

प्रासंगिक - कुसुमी मानवता (हिंदी)

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  कुसुमी मानवता भाषा(Language) फिर चाहे वो कोई भी हो मानवी संवाद का मूलभूत साधन हैं. मानवी भावना हो, शास्त्र हो, ज्ञान-विज्ञान हो, भाषा के बीना प्रसारित नही हो सकता. अत: भाषा का महत्त्व असाधारण हैं. हम भारतवासी(Indian) तो इस विषय में विशेष रूप से सौभाग्यशाली हैं, क्यूँकी हमारे देश मे कई भाषा बोली जाती है. हर भाषा का अपना लहेजा है, खुशबू है, सौष्ठव है. 27 फरवरी को, देश का एक महत्त्वपूर्ण राज्य, महाराष्ट्र(Maharashtra) की भाषा मराठी का जिक्र बडा स्वाभाविक हैं. यह दिन, महाराष्ट्र  में मराठी भाषा दिन  के रूप में मनाया जाता हैं.  मराठी के एक महान कवी, लेखक, नाटककार, संपादक विष्णू वामन शिरवाडकर (V V Shirwadkar)का यह जन्मदिन हैं. मराठी साहित्य बगीचे के वह कुसुमाग्रज हैं. उनके विशाखा काव्य संग्रह को ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया है. प्रस्तुत लेख उनकी काव्यप्रतिभा से संक्षिप्त परिचय कराने का प्रयत्न हैं. किसी भी भाषा का महत्व और महानता आम तौर पर उसकी शब्दावली, उसकी लफ्फाजी, उसके भाषालंकार, उसके व्याकरण तथा साहित्यिक व्यवहार से निर्धारित होता है। मराठी भाषा पर भी यह बात लागू ...

प्रासंगिक - गोदातीरीची कुसुमी मानवता

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  गोदातीरीची कुसुमी मानवता मराठीची बोलू कौतुके। परि अमृतातेहि पैजासी जिंके। खरंच आहे. मराठी भाषेची थोरवी किती गावी? एखाद्या भाषेची महती, थोरपण हे साधारणपणे शब्दसंपदा, तीचे अलंकार, म्हणी, वाक्प्रचार, व्याकरण, त्या भाषेतील साहित्य व्यवहार, आदी बाबीं वरून ठरवलं जातं. ही परिमाणं मराठी भाषेलाही लागू आहेतच पण मराठी भाषा वैभव हे कनकांबरी  होतं, ते या माय मराठीच्या अ अपत्यांनी केलेल्या विश्वरूप विचारांनी; हे विश्व ची माझे घर या भावनेने सर्व जनांच्या कल्याणाच्या व्यापक मांडणी मूळे. अमृतातेही पैजासी जिंके हा काही भावनातिरेक नाही तर वैश्विक कल्याणाच्या समावेशी विचारांमुळे लागू होणारे ते रास्त प्रशस्तीपत्र आहे. मराठी सारस्वताचे प्रांगण हे सदैव विश्वात्मक विचार मांडणाऱ्या शब्द तारकांनी संमार्जित, शिंपिले गेले आहे. अर्थातच यात आद्य क्रमाने माउलींचे स्मरण होते. सुमारे साडेसातशे वर्षांपूर्वी संत ज्ञानदेवांनी विश्वात्मक देवाकडे "जो जे वांछील तो ते लाहो" असे पसायदान अखिल प्राणी जाती साठी मागितले. तेव्हा पासून तर अर्वाचीन काळात  सर्वात्मक सर्वेश्वराकडे "जे जे जगी जगते तया, माझे म्हणा क...

प्रासंगिक - बजट

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  बजट रोचक जानकारी: फ्रेंच शब्द बुजेट (bougette) से बजट शब्द की उत्पत्ति हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ चमड़े की थैली होता हैं एक जानकारी के अनुसार भारत में पहला बजट 7 अप्रैल 1860 को पेश किया गया| लेकिन स्वतंत्र भारत का पहला बजट वित्त मंत्री आर.के. षणमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर, 1947 में पेश किया| वर्ष 1955 तक  सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही बजट पेश होता था| वित्त वर्ष 1955-56 से अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में बजट छपने लगा| संसद में बजट प्रस्तुत करने वाली महिलाओं में इन्दिरा गांधी और निर्मला सीतारमण शामिल हैं| इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए 1970 में आपातकाल के दौरान संसद में बजट पेश किया था| निर्मला सीतारमण  ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली रालोआ सरकार के दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री के नाते बजट पेश किया| वे यूनियन बजट पेश करने वाली पहली पूर्णकालिन महिला वित्त मंत्री हैं| जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते बजट पेश किया था क्योंकि वित्त मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था|  यह जानाना बडा रोचक होगा की सबसे अधिक बार मोरारजी देसाई ...