स्मृतिबनातून - आसमानों में उड़ने की आशा

आसमानों में उड़ने की आशा


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एयर इंडिया(Air India) फ्लाइट AI 176.. सैन फ्रांसिस्को से बंगळुरू...16000 किलोमीटर की दूरी...दुनिया का सबसे लंबा हवाई मार्ग..सत्रह से अधिक घंटे अविरत उड़ान... उत्तरी ध्रुव(North pole) के ऊपर चौंतीस हजार फीट ऊंचाई से.. चार सदस्यीय चालक दल... जिसमें विशेष था चारों भारत की बेटियों का होना और नेतृत्व कर रही थी हवाई शलाका जोया अग्रवाल(Joya Agrawal)


स्वप्न और स्वप्नपूर्ती

आठ साल की एक बालिका बचपन  से ही अपने घर के छत से तारों को निहरती रहती और आसमां 
में हवाई जहाज को देखकर, मन ही मन खुद हवाई जहाज का उड़ान भरने का सपना अपनी चमकीली आंखों में संजोती थी। तब यह सपना ही था लेकिन वह सोते हुए नहीं जागते हुए देखा गया था। आज बचपन के उस सपने को यथार्थ में बदलकर जोया भारत मां की आंखों का चमचमाता सितारा बन चुकी है


सपना जो की जोया का अपना था, पुरा तो हुआ लेकिन राह आसान नहीं थी। जोया अपने मां - बाप की इकलौती संतान हैं। बेटी भी और बेटा भी। परिवार परंपरा में आस्था रखने वाला होने से जोया के सपने पल्ले पडना, अब नामुमकिन तो नहीं कह सकते, लेकिन कुछ मुश्किल जरूर था। माँ का दिल तो उसके लिये किसी राजकुमार का सपना देख रहा था, ताकि जोया घर गृहस्थी बसा सके। बाल बच्चे पाल सके। जाहीर हैं की जब जोया ने पायलट(Pailot) होने की इच्छा का जिक्र किया तो मां के आंसू निकल पडे। अपने घर कोई ठीक ठाक नॉर्मल लड़की पैदा ना होने से मां दुखी थी। लेकिन जोया अपने ध्येय से टस से मस नहीं हुई। सभी कठिनाइयों का डटकर मुकाबला कर, अपने ध्येय पथ पर वो आगे बढ़ती रही और 9-11 जनवरी, 2021 को एयर इंडिया के ऐतिहासिक फ्लाइट का सफल नेतृत्व कर अपने सपने को चार चांद लगाते हुए मां के गम के आंसुओं को फक्र और खुशी के आंसुओं में बदल डाला

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली में एक पुरस्कार समारोह में जोया से मुलाकात हुई बातचीत के दौरान अपने माता पिता ने रखे नाम को उसे सार्थक करता महसूस किया जोया का मतलब है चमकदार, जिंदगी से भरपूर, प्यारी, जिंदा दिल और सुंदर



ध्येयासक्ती और ध्येयपूर्ती


आज जमीन से आसमान तक वाहवा बटोरती दिख रही जोया के लिये इस मुकाम तक पहुंचना काफी संघर्षमय रहा। लेकिन सफलता पूर्वक आसमान छुना संभव होने का राज शायद उसके व्यक्तित्व में छुपा हैं। ध्येय के प्रति अत्याधिक जुनून, संपूर्ण समर्पण, जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण जैसी खूबियां किसी का कोई भी सपना वास्तविकता में बदलने में सक्षम होती हैं। जोया इसका प्रमाण है।

असामान्यत्व


एक औसत परिवार की इस बच्ची को आकाश मंडल के टिमटिमाते सितारोंने लब्ध किया। खिलौने में भी गुडिया की नही दुर्बिन की चाह रही। आस पडोस के बाच्चों जैसा उसका नही होना उस समय  माता पिता को चिंतित कर देता था। लेकिन बचपन से ही उसके तेवर कुछ अलग थे। परंपरा की चौखट में समाए रहना उसे मंजूर नहीं था। समाज के चाहने से अपने सपने बदलने वालों में से वो नही थी

उच्च माध्यमिक शिक्षा के बाद तीन साल ज़ोया ने अपने ध्येय पूर्ति हेतु कड़ी मेहनत की और दो पूर्णकालिक अध्ययन में जुटी रही। सुबह 6 से 3.30 बजे तक, वह दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में अपने पाठ्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करती और फिर उत्तरार्ध  में रात 9.30 बजे तक विमानन क्षेत्र की पढाई में डूबी रहती। उसकी कडी मेहनत और लगन देख, माता-पिता के दिल ने भी उसका असामान्यत्व स्वीकारा और उसकी पढ़ाई तथा विमानन परीक्षाओं के लिए ऋण भी लिया।

आखिर 2004 में जोया की आसमानों में उड़ने की आशा को पंख मिल ही गये। उस समय एयर इंडिया अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर उड़ान भरने वाली एकमात्र एयर लाइन थी तथा पायलटों के लिए नौकरी की गुंजाइश भी कम थी। लेकिन जोया ने प्रवेश परीक्षा पास कर ली और पायलटों की दस रिक्त स्थानों में से एक अपने नाम कर लिया तब से लेकर आज तक विमानन उद्योग में विश्व भर में कई बदलाव आये महिलाओं की राह भी कुछ आसान हुई जोया निरंतर अपने सपने की राह पर बुलंदी से आगे बढ़ती रही 2013 में, वह बोइंग -777 उड़ान भरने वाली दुनिया की पहली महिला पायलट बनी। विश्वव्यापी COVID-19 के प्रकोप के दौरान भारत की सरकार ने विदेशों में फंसे 14,000 भारतीयों को वापस लाने हेतु जो वंदे भारत मिशन चलाया उसमे भी जोया ने अहम भूमिका निभाई उसका मानना हैं की पायलट में पुरुष या महिला ऐसा कोई भेद नहीं किया जा सकता वो कहती है कि "शुरुआत से, आपको पायलट के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है, न कि महिला पायलट के रूप में।" प्रतिकूल परिस्थिती में भी जोया ने जो यशोगाथा रची हैं उसके चलते, युवा लड़कियां उसे आज एक प्रेरणा के रूप में देखती हैं। सपने देखना और उन्हें यथार्थ बनाने के लिये युवा लड़कियों को सक्षम बनाने का काम जोया मिशन के रूप में करना चाहती हैं भारत की इस उड़न परी जीवन में उच्चतम ऊंचाई को प्राप्त कर सके इसी कामना के साथ शब्दों को विराम देते हैं


नितीन सप्रे

nitinnsapre@gmail.com

8851540881



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