स्मृतिबनातून - यमन मनभावन

 


'छुपाsलो यूँ ss दिल में प्यार मेरा, के जैसे मंदिर में लौ दिये की'... भाव से ओतप्रोत हेमंतदा के एक बेहतरीन गीत के सुर कुछ दूरी से हवा के झोके के साथ लहराते हुए कानों पर आये। रात करीब दस साढ़े दस बजे थे। संभवत: सागर किनारे की मछवारों की बस्ती मे कोई  रेडिओ पर विविध भारती सुन रहा था। पीछे पीछे, 'तुम गगन के चंद्रमा और मै धरा की धूल हूं' और फिर जिंदगी भर नही भुलेगी वो बरसात की रात.. एक से एक सुरीले नगमो की लडीयां दिल, जैसे स्वरधारा मे बहाकर ले जा रही थी। गीतों का चयन तथा क्रम, यह महज इत्तेफाक ही था या निवेदिका की संगीत, कविता और भाव की सुझबुझ  ये बताना थोडा मुश्किल हैं ।


संगीत से थोडी बहुत नजदिकियां होने से  मुझे ऐसा प्रतीत हुआ की यह सभी गीत समानता के एक सूत्र मे पिरोयें गये है l क्या साम्य था इन सभी गीतों में ? थोडा सोचने पर मन में सवाल उठा, क्या ये सभी गीत रागदारी संगीत के एक ही राग पर तो आधारित नहीं ?


मस्तिष्क में यही विचार चल रहा था की पताही नही चला कब निंद के आधीन हो गये। दीयों की लव, आकाश की चांदनी,  वर्षा की रात, सपने मे भिगोति रही। सुबह एक कप चाय के बाद तरोताजा हूये तो मन ही मन मे बीती रात के नगामों की गुनगुनाहट फिर एकबार सुरू हुई।  संगीत के प्रती रुची ने अब अभ्यास का रूख किया, तो पता चला, कि मेरा अनुमान सही था। वो सभी गीत राग यमन पर आधारित हैं। किसी बच्चे को जब कोई नया खिलौना मिलता है, तो वह जैसे प्रफुल्लित होकर खुशी से झूम उठता है, मेरी स्थीती भी कुछ वैसे ही हो गई और एक के बाद एक गीत जैसे 'जिया ले गयो जी', 'चंदन सा बदन', 'भूली हुई यादें, मुझे इतना ना सताओं', 'आसुं भारी हैं ये जीवन की राहें कोई उनसे कहदो हमे भुल जायें', 'अभी ना जाओ छोडकर', 'बीती ना बिताई रैना', 'जा रे बदरा बैरी जा', 'जिया ले गयो जी मोरा सांवरीया', 'जब दीप जले आना', 'सागर किनारे दिल ये पुकारे', 'घर से निकल ते ही कुछ दूर चलते ही', 'आये हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बनके', 'कोई जो मिला तो एसा लगता है'(breathless), 'प्यार जिंदगी प्यार हर खुशी'(Pop dance),  साठ के दशक से लेकर दो हजार एक साल तक के कई गानों की याद ताजा होने लगी।


सूक्ष्म निरीक्षण से पता चला की खास कर हिंदी तथा मराठी फिल्म संगीत में संगीतकारोंने अपनी रचनाओं में राग यमन का विशेष अनुराग किया हैं.  क्या कारण हो सकता हैं? उत्सुकता बढने लगी। फिर हिंदुस्थानी रागदारी संगीत तथा मराठी संगीत रंगमंच के सुप्रसिद्ध पंडित राम मराठे जी के पुत्र मुकुंद तथा शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित जितेंद्र अभिषेकी के शिष्य रघुनाथ फडके  ये दोनो मित्रों से बातचीत में इस बात का खुलासा हुआ। सामान्यतः शास्त्रीय गायन की संथा, रियाझ तथा मनन का श्रीगणेशा इस राग यमन से ही सुरू होता हैं। 


यह राग भैरवी जैसे ही संपूर्ण जाती का हैं। अर्थात इसमें सभी स्वरों का समावेश होता है। अब जितने स्वर अधिक उतनाही  संगीत रचना(composition) में विविधता लाकर रस उत्पत्ती की संभावना बढ जाती हैं। प्रसंगानुरूप भाव निर्मिती भी सहजता से होती है। रंग और खुशबू से महकते यमन की पुष्करणी में विचरण किया तो अहसास होता हैं की हा यमन माने समर्पण, भक्ति,आरती, प्रार्थना। यह  यमन जिसे जैसा भांता हैं वैसा ही रुख लेता हैं। यही कारण हैं की यमन संगीतकार, गायक तथा रसिकजनों का मनभावन हो गया।


खयाल गायकी में भी यमन की कई चिजें, जैसे 'एरी आई पिया बिना', अमीर खान सहाब की 'ऐसो सुंदर सुधरवा बालमवा'; गझलों की दुनिया में 'रंजिश ही सही दिल को दुखाने के लिये आ', 'आज जाने की जिद ना करो' ये najm भी, बेहतरीन अल्फाज के साथ साथ यमन के रंग में रंगने के कारण ही अजरामरता को प्राप्त कर गये। मतितार्थ  याहिं हैं की अंततोगत्वा सुबोधता, सरलता यही सच्चा परिष्कार या अलंकरण होता हैं।


सिर्फ संगीतकार या रसिकजन ही नहीं, हिंदी फिल्म जगत की सर्वकालीन सदाबहार नायिका मधुबाला भी इस राग यमन की कायल थी, इतनी की, कहते हैं उसे अपने आप को मिस यमन कहलवाना पसंद था। इस दिवानगी का कारण उसी पर चित्रित 'जिंदगी भर नही भूलेगी' यह यमन पर आधारित गीत था।

ऐसे भी सूना हैं, पढा हैं की, एकबार किसी फिल्म में राग यमन पर आधारित गीत मुख्य नायिका पर नही बल्की सहायक अभिनेत्री पर चित्रित किया जाना था तो मधुबाला नायिका का रोल छोडकर वो दुय्यम भूमिका स्वीकारने पर अड गयी थी।


इटली के जानेमाने चित्रकार,आर्किटेक्ट, मूर्तिकार, वैज्ञानिक ने कहा था 'Simplicity is the ultimate sophistication'. यानी सादगी में ही नफ़ासत है। उनकी कही ये बात राग यमन पर पूरी तरह लागू होती है। राग यमन का सरल चलन, सुबोधाता ही परिष्कार हैं जो यमन को सालंकृत करता हैं। प्रसाधनों की बैसाखी की बगैर भी जो सौंदर्य खिलखिलाता हैं, महकता हैं उसे भला कौन नजरअंदाज कर सकता हैं? यमन मनभावन होने का मर्म यही हैं l


टिप्पण्या

  1. One of my favorite song,particularly this antra ,ये सच है जीना था पाप तुम बिन ,ये पाप मैने किया है अब तक.....👍nice यमन राग के बारेमे अच्छी जानकारी.....राग यमन का सरल चलन, सुबोधाता ही परिष्कार हैं जो यमन को सालंकृत करता हैं। प्रसाधनों की बैसाखी की बगैर भी जो सौंदर्य खिलखिलाता हैं, महकता हैं उसे भला कौन नजरअंदाज कर सकता हैं? यमन मनभावन होने का मर्म यही हैं l👌नितीन I like ur blog as it is related with music and it gives story of that song & music andddd I am a hard core listner😊of music.God bless u

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