स्मृतीबनातून प्रासंगिक - साssथी रे…

 साssथी रे…


बॉलीवूड संगीत की कई रचनाएं, जो की रागदारी संगीत पर आधारित हैं

हमारे दिलों मे सदा के लिये जगह बना चुकी  है

शब्द, सुर, ताल से बनी एक सुंदर माला जैसे ये गीत, यद्यपि किसी एक फिल्म के लिये बने जरूर, पर भविष्य मे वो स्वयंभू हो गये जैसे विनाशी देह मे बसा अविनाशी आत्मा फिल्म भले याद रहे या ना रहे, यह गीत सालों से सूने जा रहे है तथा अमरपद प्राप्त कर गए ये गीत नये कलाकारों को भी अविष्कार करने का इशारा करते है

इन गीतों की  शृंखला मे सन 1977 मे प्रदर्शित 'कोतवाल साब'  फिल्म का अपर्णा सेन और शत्रुघ्न सिन्हा पर फिल्माया गीत निश्चित ही शामिल होगा ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित इस फिल्म के कुल तीन गीतों मे से दो आशा भोसले ने तथा एक अन्य गीत हेमलता ने गाया हैं स्वयं संगीत निर्देशक रवींद्र जैन ने ही शब्दबद्ध किया, आशा भोसले का गाया 'साथी रे भूल न जा ना मेरा प्यार' यह गीत संगीत प्रेमीयों के दिल में आज भी तरोंताजा हैं अपने ही शब्दों को संगीत मे ढालते समय, आशा का पुनम स्वर ही संगीत निर्देशक रविंद्र जैन के जहन मे नि:संदेह रहा होगा




साथी रे भूल ना जाना मेरा प्यार(click to listen)


साथी रे भूल ना जाना

मेरा प्यार

मेरी वफ़ा का ऐ मेरे

हमदम कर लेना ऐतबार


दूर कभी कर दे जो मजबूरी

वो दूरी तो होगी नज़र की

दूरी

तेरी दुवाएं गर साथ रही,

आयेगी फिर से बहार


काश कभी ये रैना ना बीते

प्रीत का ये पैमाना कभी

ना रिते

डर है कही आनेवाली सहर,

ले ले ना दिल का करार….


संगीत का भावमाधुर्य, फिर भाषा कोई भी क्यूँ न हो, सूननेवालों का दिल बाग बाग कर देता है ऐसी धूने रचना रविंद्र जैन का शक्तिस्थान था जन्म से दृष्टी से धोका खाने वाले इस सूरदास को सृष्टी ने स्वरों की दिव्यदृष्टी प्रदान की

फिल्म नायिका के मन की निहायत संवेदना प्रकट करनेवाले शब्दों को धून मे पिरोने हेतु दादू (यही उपनाम से वें फिल्मी जगत मे जाने जाते रहे) ने शांत, गंभीर प्रकृती का राग मारवा का चयन किया मुखडे के साथ दो अंतरे वाला यह गीत स्वरमाधुरी से ओतप्रोत हैं शास्त्रीय संगीत पर आधारित, संभवतः सबसे कठीन 

गीत रचनाओं मे से यह एक मानी जाती हैं जाहीर हैं की ऐसी अनुपम मात्र आवाहनात्मक रचना को गले से उतारते  समय अलवर भावनाओं को रत्तीभर भी हानी ना पहुंचे इसलिये आशा ने अपनी सारी कुशलता  उपयोग मे लायी हैं



भावभीने शब्द, दिल बेहेलाने वाली संगीत रचना तथा समर्पित गायन यह त्रिवेणी संगम का अनुभव होता है 


नितीन सप्रे

nitinnsapre@gmail.com









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