स्मृतीबनातून चिंता (पद्य)
चिंता
न उतरवी मनातून कधी प्रेमले
मम जीवनाचा तेवणारा दीप हा
दुःख वादळी अशा विझेल का?
खोल जखमा उरीच्या पोळू नये
हृदयातील आग त्यांना जाळू नये
दबक्या स्वरातील माझ्या वेदनेचा हुंदका
भान हरवून न हो चालता
सांगू कुणा मी माझी व्यथा
ह्रदयही माझे, नाही माझे आता
दुविधेत मी घेरलो आहे असा
कथेचा न व्हावा विषय हा
दीप मी असा आहे जगी
जो तेवतो परी आलोक नाही
मनात असते माझ्या ही टोचणी
कामना करपून न जाओ अंतरी
नितीन सप्रे
nitinnsapre@gmail.com
250320250800
मुझे रात दिन ये ख्याल है
मुझे रात दिन ये ख्याल है
वो नज़र से मुझको गिरा न दे
मेरी ज़िन्दगी का दिया कही
मेरी ज़िन्दगी का दिया कही
ये गमो कीआंधी बुझा न दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है
मेरे दिल के दाग़ न जल उठे
मेरे दिल के दाग़
मेरे दिल के दाग़ न जल उठे
कही मेरे सीने की आग से
कही मेरे सीने की आग से
ये घुटी घुटी मेरी आह भी
ये घुटी घुटी मेरी आह भी
कही होश मेरे गँवा न दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है
किसे अपना हाल सुनाऊं मैं
किसे अपना हाल
किसे अपना हाल सुनाऊं मैं
मेरा दिल भी गैर का हो चूका
मेरा दिल भी गैर का हो चूका
बड़ी उलझनों में घिरा हूँ मैं
बड़ी उलझनों में घिरा हूँ मैं
के फ़साना कोई बना न दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है
मैं दिया हूँ ऐसा जहां में
मैं दिया हूँ ऐसा
मैं दिया हूँ ऐसा जहां में
के जला तो हूँ नहीं रौशनी
के जला तो हूँ नहीं रौशनी
जो जिगर में है वो खलिश कही
जो जिगर में है वो खलिश कही
मेरी हसरतों को मिटा न दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है
मुझे रात दिन ये ख्याल है
वो नज़र से मुझको गिरा न दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है.
अप्रतिम !
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उत्तर द्याहटवा